
पंजाब सरकार द्वारा सभी पंचायतें भंग करने की नोटिफिकेशन वापस लेने पर पंजाब कांग्रेस ने खुशी जाहिर की है। पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PPCC) लीगल सेल के चेयरमैन एवं सीनियर एडवोकेट विपिन घई समेत AICC के सेक्रेटरी एवं पूर्व मंत्री गुरकीरत सिंह कोटली आदि ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
पूर्व मंत्री कोटली और विपिन घई ने कहा कि पंचायतें भंग करने की नोटिफिकेशन के खिलाफ कांग्रेस और सरपंच यूनियन ने हाईकोर्ट में PIL दायर की गई थी। पंजाब सरकार ने तानाशाही फरमान जारी किया गया था लेकिन हाईकोर्ट की दखल के बाद लोकतंत्र का बचाव हो गया।
चुनाव संबंधी नोटिफिकेशन मान्य रहेगी
विपिन घई ने कहा कि पंजाब सरकार ने दो नोटिफिकेशन जारी की थी। इनमें से एक चुनाव की समय सीमा और दूसरी पंचायतें भंग करने से जुड़ी थी। हाईकोर्ट ने पंचायतें भंग करने की नोटिफिकेशन को गैरकानूनी बताया है। चुनाव की समय सीमा से जुड़ी नोटिफिकेशन फिलहाल मान्य है।
इस मामले में कुल 11 याचिकाएं और एक PIL दायर की गई थी। हाईकोर्ट में लोगों की जीत हुई है।
कानून सबसे ऊपर
जालंधर जिले की आदमपुर सीट के कांग्रेसी विधायक सुखविंदर कोटली ने कहा कि गवर्नर ने पंजाब की कानून-व्यवस्था, नशे और आर्थिक स्थिति पर सवाल उठाए हैं लेकिन मुख्यमंत्री ने उनके जवाब नहीं दिए। इसी वजह से पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने के बारे में गवर्नर की ओर से चेताया गया।
मुख्यमंत्री का फैसले से पहले विचार करना जरूरी
कोटली ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब की पंचायतों, जिला परिषदों और ब्लॉक समितियों से बड़ा धोखा किया है। एक तरफ मुख्यमंत्री कहते हैं कि गवर्नर राज की जरूरत नहीं है जबकि दूसरी ओर गवर्नर की तरह पंचायतें भंग करने के फरमान जारी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री को फैसले लेने से पहले विचार करना चाहिए, क्योंकि महज डेढ़ साल में तकरीबन आठ फैसले मान सरकार को विड्रॉ करने पड़े हैं।उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान से अनावश्यक फैसले लेने से गुरेज करने और लोकतंत्र पर भरोसा रखने की अपील की।