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कांग्रेस के गढ़ जालंधर में कांटे की टक्कर, सभी पार्टियों ने रविदास बिरादरी से उतारा प्रत्याशी

जालंधर में लड़ाई सिरमौर बनने से ज्यादा बादशाहत और बड़ा भाई बनने की भी है। अभी तक भाजपा और शिरोमणि अकाली दल साथ मिलकर लड़ते रहे हैं। इस बार अलग-अलग लड़ रहे हैं। ऐसे में दोनों में बड़ा भाई बनने के लिए संघर्ष होगा। तमाम सियासी दलों ने एक-दूसरी पार्टी में तोड़फोड़ शुरू कर दी है। इस सीट पर पांचों उम्मीदवार रविदासिया समाज के हैं।

पंजाब के जालंधर में इस बार मुकाबला दिलचस्प व कांटे की टक्कर का होने वाला है। पांच दलों के अलग-अलग चुनाव लड़ने से पंजाब का चुनाव इस बार रोचक होना तय है। यहां पांच कोणीय मुकाबला होने की संभावना है। मुकाबले के कारण सभी दल सियासी भंवर में फंस चुके हैं। 

आप पंजाब में जालंधर सीट पर पूरी ताकत झोंकने का प्रयास करेगी, क्योंकि पिछले साल उपचुनाव में आप ने इस सीट को जीतकर लोकसभा में अपनी फिर से एंट्री की। जालंधर से सुशील रिंकू एक मात्र लोकसभा सांसद थे। इस बार आप ने उनको टिकट दिया था, लेकिन वह भाजपा में चले गए। आप के लिए यह बड़ा झटका था कि सत्ता में होते हुए उनका उम्मीदवार पार्टी की टिकट छोड़कर भाजपा में चला जाए। रिंकू अब भाजपा के उम्मीदवार हैं।

वहीं पंजाब के सीएम रहे चरणजीत सिंह चन्नी भी एक बड़ा चेहरा हैं, जबकि अकाली दल के दो बार विधायक व सीपीएस रहे पवन टीनू आप की टिकट पर हैं। बसपा से बलविंदर कुमार मैदान में हैं। बलविंदर कुमार बसपा के मिशनरी हैं और 2019 में उन्होंने बसपा की टिकट पर दो लाख से अधिक मत हासिल कर सबको चौंका दिया था। अकाली दल ने जालंधर से सांसद रहे मोहिंदर सिंह केपी को टिकट दिया है। वह पीपीसीसी के प्रधान रहे हैं। 

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जालंधर से आप की उम्मीदवार ज्योति अक्षरा मान ने 2.54 लाख वोट प्राप्त कर सभी को हैरान कर जालंधर की राजनीति के गणित में बड़ा उलटफेर किया था। राज्यसभा की बात हो तो उसमें भी जालंधर शुमार है। आप हाईकमान की तरफ से 2022 से छह वर्ष के लिए शुरू होने वाले कार्यकाल के लिए जालंधर से ही टर्बनेटर के नाम से मशहूर पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह, पर्यावरणविद संत बलबीर सिंह सीचेवाल और शिक्षाविद अशोक मित्तल को राज्यसभा के लिए नामित किया गया है।

कब कौन जीता

1977 इकबाल सिंह ढिल्लों- शिअद

1980 राजिंदर सिंह स्पैरो- कांग्रेस

1984 राजिंदर सिंह स्पैरो- कांग्रेस

1989 इंद्र कुमार गुजराल- जनता दल

1992 यश- कांग्रेस

1993 उमराव सिंह- कांग्रेस

1996 दरबारा सिंह- शिअद

1998 इंद्र कुमार गुजराल- जनता दल

1999 बलबीर सिंह- कांग्रेस

2004 राणा गुरजीत सिंह- कांग्रेस

2009 मोहिंदर केपी- कांग्रेस

2014 संतोख सिंह चौधरी- कांग्रेस

2019 संतोख सिंह चौधरी- कांग्रेस

2023 सुशील कुमार रिंकू- आप

उपचुनाव रिजल्ट 2023
-आप: सुशील कुमार रिंकू- 302,279 वोट
-कांग्रेस: करमजीत कौर चौधरी- 2,43,588 वोट
-शिअद: डॉ. सुखविंदर कुमार सुक्खी- 1,58,445 वोट
-भाजपा: इंदर इकबाल सिंह अटवाल- 1,34,800 वोट

कहां नफा, कहां नुकसान

जालंधर में सियासी समीकरण रोजाना बदल रहे हैं। आप की तरफ से पिछले साल उपचुनाव जीतकर कांग्रेस से सीट छीन ली गई थी। आप ने कांग्रेस के नेता रिंकू को शामिल करवाकर मैदान में उतारकर कांग्रेस से सीट छीन ली थी। भाजपा आप पर भारी पड़ी, उनका सांसद व उम्मीदवार रिंकू को ले गई और जालंधर से टिकट दे दिया। आप के लिए यह बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के चन्नी बड़ा चेहरा हैं, लेकिन उनके समधी केपी अकाली दल में चले गए हैं और वहां से चन्नी को हराने के लिए ताकत लगा रहे हैं। रिश्तेदारों में अनबन हो चुकी है। कांग्रेस के लिए झटका यह भी है कि पिछला उपचुनाव लड़ने वाली करमजीत कौर चौधरी भाजपा में चली गई हैं। जालंधर के रहने वाले कांग्रेसी नेता हिमाचल के सहप्रभारी तजिंदर बिट्टू भाजपा में आ गए हैं। भाजपा के लिए भी नुकसान यह है कि उनके तेजतर्रार नेता रॉबिन सांपला आप में चले गए हैं। अकाली दल के नेता पवन टीनू आप के उम्मीदवार बन गए हैं। बसपा के बलविंदर कुमार तेजतर्रार हैं, 2019 में 2 लाख से ज्यादा वोट ले गए थे। वह कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बन सकते हैं। रविदास समाज का वोट पांचों में बंटने से कांग्रेस का नुकसान हो सकता है। रविदासिया समाज का वोट कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक है।

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