
तरक्की कौन नहीं चाहता। गांव को कस्बा फिर कस्बे से शहर बनाया जाए, लेकिन कुछ अपने दम पर न केवल अपवाद बनते हैं, बल्कि दूसरों को नई राह भी दिखाते हैं। बात हो रही है गांव दयालपुर की। गांव को करतारपुर नगर कौंसिल में शामिल करने के लिए पत्र प्रशासन से आया तो सरपंच ने यह कहकर मना कर दिया कि कौंसिल में शामिल मोहल्लों से ज्यादा अच्छा और सुविधाओं वाला हमारा गांव है।इसके लिए भी सरपंच हरजिंदर सिंह राजा को प्रस्ताव पास करके देना पड़ा। वाकई गांव ने विकास के कई पैमाने को करीब-करीब पूरा कर लिया है। वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इसी के साथ श्री गुरुग्रंथ साहिब जी के लिए विशेष गाड़ी खरीदी जा रही है, ताकि अदब का विशेष ध्यान रखा जा सके।
पांच साल में 1.75 करोड़ रुपए के कार्य हुए, इसमें ~75 लाख सरकार से मिले
सिटी से करीब 22 किमी दूर जालंधर-अमृतसर हाईवे पर बसा यह स्मार्ट गांव एनआरआई सज्जनों की सेवा से सुसज्जित हुआ है। 5 साल में करीब दो करोड़ रुपए के विकास कार्य हुए हैं। इसमें 75 लाख सरकार ने दिए हैं। सीसीटीवी से लैस करीब पांच हजार की आबादी वाले गांव में सड़कें-गलियां पक्की हैं।विकास में पुराने वृक्षों का संरक्षण किया गया है। रास्ते थोड़े टेढ़े-मेढ़े हुए तो होने दिए पर किसी वृक्ष की कीमत पर उसे सीधा नहीं किया। स्टेडियम है और स्मार्ट जिम भी। नालियां पूरी तरह अंडरग्राउंड। गांव से दो किमी दूर खुलती हैं।
पीपल की छांव से घिरे चकाचक भव्य चबूतरे के पास ही बना पंचायत भवन बताता है कि यह गांव आम नहीं है। अंदर हॉल में कुर्सियां और बड़ी-सी स्क्रीन है। यहीं से पूरे गांव की निगरानी होती है। कई बार सीसीटीवी से देखकर नशा तस्कराें को भी दबोचा जा चुका है। चोरियां भी पकड़ी गई हैं। यहां डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का अच्छा और टिकाऊ सिस्टम है। गांव के लोगों से इसके लिए हर महीने सिर्फ सात रुपए लिए जाते हैं।
3 कबड्डी ਖਿਲਾਡ਼ੀखिलाड़ियों का इंग्लैंड के क्लब से करार
गांव में शेर-ए-पंजाब स्पोर्ट्स क्लब 5 साल से चल रहा है। क्लब से जुड़े अवतार सिंह ने बताया कि रोजाना 70 के करीब खिलाड़ी कबड्डी, वॉलीबाल, क्रिकेट व अन्य खेल गतिविधियों में रोजाना अभ्यास करते हैं। इंग्लैंड की एक क्लब की ओर कबड्डी रेडर बिल्ला, शाखा और मनी खेल रहे हैं। इनका इंग्लैंड के क्लब से करार हुआ है। इन्हें विदेश जाने और वहां रहने का खर्च क्लब ही उठा रहे हैं।
श्मशानघाट भी हाईटेक, यहां 25 प्रजाति के पौधों से हरियाली
गांव से 500 मीटर दूर करीब दो एकड़ में श्मशानघाट है। अगर आप गेट पर लिखा हुआ न देखें तो अंदाजा नहीं लगा सकते कि यह श्मशानघाट है। कैंपस के अंदर पीपल और आम समेत 25 से अधिक प्रजाति के पेड़-पौधे हैं। पूरा कैंपस सीसीटीवी से कवर। एक छोटा-सा दफ्तर भी है।
शव रखने के लिए दो बड़े फ्रीजर। एक तरफ बैठने का बड़ा-सा शेड महिलाओं के लिए और दूसरी तरफ पुरुषों के लिए। बीच में अंतिम क्रिया के लिए स्थान। दाह संस्कार के लिए पारंपरिक और गैस संचालित सिस्टम। वाकई यहां का वातावरण किसी बगीचे की तरह है। दो बार से यहां सरपंच बन रहे हरजिंदर सिंह राजा कहते हैं कि अगली बार मैं सरपंच न भी बनूं तो भी आने वालों के लिए कोई काम छोड़कर नहीं जाऊंगा।