
पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल के बीच चल रही कलहा शांत होने का नाम नहीं ले रही है। वहीं, दूसरी ओर पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल कह रहे हैं कि हमारी पार्टी एकजुट है। अब इसे लेकर बठिंडा से सांसद चुनी गई शिअद अध्यक्ष की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने दिल्ली में एक बयान दिया है। बादल ने अपने बयानों में कहा है कि पूरा शिरोमणि अकाली दल एकजुट है और सुखबीर बादल के साथ खड़ा है।
बीजेपी पर भड़की हरसिमरत बादल
बठिंडा से शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा- भाजपा के कुछ पिट्ठू शिरोमणि अकाली दल को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। वे वैसा ही करना चाहते हैं जैसा उन्होंने महाराष्ट्र में किया। शिरोमणि अकाली दल एकजुट है और वे असफल होने जा रहे हैं।
117 नेताओं में से केवल 5 नेता सुखबीर बादल के खिलाफ हैं। जबकि 112 नेता पार्टी और सुखबीर बादल के साथ खड़े हैं। सभी हलकों की सारी लीडरशीप हमारे साथ है। बीबी जगीर कौर का नाम लिए बिना बादल ने कहा- बीजेपी द्वारा उन्हें एसजीपीसी का चुनाव लड़वाया था। वहीं, ओम बिरला के स्पीकर चुने जाने पर बादल ने कहा- केंद्र सरकार हमेशा से हावी रही है, बिना विपक्ष के केंद्र ने स्पीकर को चुना है। इससे लोगों का नुकसान होता है।
जालंधर-चंडीगढ़ में शिअद की अलग-अलग मीटिंग्स हुई
बता दें कि पंजाब के जालंधर में बीते मंगलवार को शिरोमणि अकाली दल द्वारा अपनी ही पार्टी के खिलाफ एक बड़ी मीटिंग की गई थी। ये मीटिंग तब हुई जब शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने चंडीगढ़ में सभी लीडरों के साथ मीटिंग कर रहे थे।शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब के जालंधर में अपनी ही पार्टी के खिलाफ बड़ी बैठक की थी। बैठक में अकाली दल के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। बैठक में सिकंदर एस मलूका, सुरजीत एस रखड़ा, बीबी जागीर कौर, प्रेम एस चंदूमाजरा समेत कई अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। इस दौरान प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा- अकाली दल इतना कमजोर क्यों हो गया है। आज हम अर्श से फर्श पर आ गए हैं। पुरानी निंह पर लाने के लिए अब पार्टी में बदलाव जरूरी है।चंदूमाजरा ने कहा- 1 जुलाई को हम सभी अकाली नेता श्री अकाल तख्त साहिब में माथा टेकेंगे। 1 जुलाई को हम वहीं से शिरोमणि अकाली दल बचाओ लहर की शुरुआत करेंगे। इस यात्रा में हम अकाली दल के वरिष्ठ नेताओं को शामिल करेंगे। साथ ही चंदूमाजरा ने कहा- मैं पार्टी प्रमुख सरदार सुखबीर सिंह बादल से अपील करता हूं कि वे कार्यकर्ताओं की भावनाओं को नजरअंदाज न करें, बल्कि उन्हें समझें। पार्टी मतदान के बाद फैसला लेगी।